प्राचीन मत्स्य गणराज्य में स्थित वर्तमान चाकसू एक अति पुरातन पुनीत ऐतिहासिक नगरी थी जो विभिन्न नामों से तत्कालीन अधिषिक्त "मिथिला पुरी" के राजा की सुकन्या राजकुमारी "पानदे" के गर्भ से उत्पन्न, गंधर्वसेन के अंश चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रमादित्य व भर्तृहरि के धूमाच्छादित जन्म स्थान के इतिहास का भारत के इतिहास पटल पर ऐहितासिक तिथि 57 ई.पू. को आधार मानकर मूल कथनानुसार काल गणना करते हुए शिलालेखों, ताम्रपत्रों, सिक्कों, प्राचीन साहित्य, प्रख्यात इतिहासकारों के प्रमाणों व प्राकृतिक साक्ष्यों रूपी रवि रश्मियों द्वारा ऐतिहासिक तिमिराच्छादन को तिरोहित करते हुए, विदेशों व भारतीय इतिहासकारों के मिथ्या व भ्रमपूर्ण मतों का तीव्र खंडन करते हुए उल्लिखित चक्रवर्ती सम्राट का गुप्तकालीन सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय से पृथक अस्तित्व अभिषिक्त कर सत्य के उद्घोष से सभी मिथ्या धारणाएं निर्मूल हो जाती हैं। उसका भारतीय संस्कृति के पोषण व संवर्द्धन में राम व कृष्ण के पश्चात् अग्रणी स्थान है, जिसके महान् व्यक्तित्व के समक्ष भारत के मौर्यकाल से मुगलकाल तक के सम्पूर्ण सम्राट नतमस्तक होते हुए दृष्टिगोचर होते हैं, जिसके नाम की उपाधि धारण कर परवर्ती सम्राट गौरवान्वित होते थे, जिसे उज्जैन के इतिहास से जुड़े हुए चम्पावती (चाकसू) के इतिहास का परिहार करने के कारण उस चक्रवर्ती सम्राट के इतिहास को इतिहासकारों ने भ्रान्तिमान अलंकार बनाकर भ्रमित करने व अंग्रेजों की भारतीय संस्कृति के प्रति कुत्सित भावना ने उस महान् व्यक्तित्व को 350 वर्ष धकेलकर, गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय में समाहित कर, भारत के इतिहास पटल को तिरोहित करने
वास्तविक विक्रमादित्य व भर्तृहरि । Vastavik Vikramaditya v Bhrtrhari
Author
Sohanlal Mishra
Publisher
Sahityagar
No. of Pages
256