ल्हासा नहीं... लवासा', लवासा व अन्य यात्राओं का एक ऐसा वृत्तांत है जो यात्राओं को फैंटैसी लैंड से बाहर लाकर उनके वास्तविक स्वरूप को पाठकों के सामने दिलचस्प कहानियों के रूप में पेश करता है। पाठक इन यात्राओं में कहीं-न-कहीं स्वयं को ज़रूर महसूस करता है। इन कहानियों के पात्र कोई और नहीं बल्कि आपके अपने ही होते हैं। यह यात्रा वृत्तांत यात्रा की एक नई अवधारणा रचता है जहाँ यात्रा का अर्थ केवल बैग पैक कर सोलो ट्रिप पर निकल जाना या ग्रुप में दुर्गम पहाड़ियों में ट्रैकिंग करना ही नहीं है। यूँ तो हर यात्रा किसी के लिए एक सपना हो सकती है लेकिन ये यात्राओँ एक ऐसा सपना हैं जिनमें अपनों के साथ साकार होने का सामर्थ्य है। ये यात्राओँ बताती हैं कि दुर्गम स्थानों के अलावा भी बहुत कुछ है दुनिया में देखने और घूमने के लिए। यह यात्रा वृत्तांत मानवीय संबंधों को बनाने व मज़बूत करने में भी यात्राओं के महत्व को दर्शाता है। ज़िंदगी की आपाधापी को पीछे छोड़ अपने लिए व अपनों के लिए समय निकालना कैसे आपको बेहतर कल के लिए तैयार करता है, आप इन यात्राओं से बख़ूबी जान सकते हैं।.
ल्हासा नहीं... लवासा । Lhasa Nahin... Lavasa
Author
Sachin Dev Sharma
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
124