top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

'राठौड़ों का उदय और विस्तार' नवीन दृष्टिकोण से लिखा गया इतिहास है। राजपूताने के राठौड़ों के मूलपुरुष राव सीहा से लेकर वर्तमान महाराजा गजसिंह द्वितीय तक प्रामाणिक इतिहास को लिपिबद्ध किया गया है। राठौड़ों की उत्पत्ति, प्राचीनता, विस्तार एवं मान्यताओं पर विशद अनुशीलन किया है। राठौड़, कोई वंशगत खांप (जातीय शाखा) नहीं, एक राष्ट्र है, उसका प्राचीन नाम राष्ट्रकूट इसी का प्रतीक है। इस नेशन की स्वयं की अपनी सभ्यता (आदर्श) कला एवं गौरव गाथा है। इन राजाओं ने अपने वंश रूपी सूर्य के जाज्वल्यमान प्रकाश से संसार को प्रभावित किया है। इतिहासों में लिखा है, कि व्यक्तिगत वीरता में राठौड़ों का कोई भी जाति मुकाबला नहीं कर सकती। राव सीहा, आस्थान, प्रातः स्मरणीय पाबूजी राठौड़, रावल मल्लीनाथ, राव वीरमदेव, चिरंजीव दसवें नाथ गोगादेव राठौड़, राव चूण्डा, राव जोधा, राव मालदेव, कल्ला रायमलोत, राव चन्द्रसेन, अमरसिंह राठौड़ आदि ऐसे देवपुरुष उत्पन्न हुए, जिन्होंने अपने वंश को उच्च शिखर पर पहुंचाया एवं नवकोटि मारवाड़ को स्थापित करने के आधार स्तम्भ रहें। राठौड़ों की शाखा प्रशाखाओं के साथ-साथ वीर पुरुषों के संक्षिप्त परिचय एवं टिप्पणियाँ दी, जो इतिहास विषय में अभिरुचि रखने वालों के लिए उपयोगी व संग्रहणीय ग्रंथ बन गया है।

राठौड़ों का उदय और विस्तार । Rathoron Ka Uday aur Vistar

SKU: 9789394649354
₹450.00 नियमित मूल्य
₹382.50बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टॉक में केवल 1 ही शेष हैं
  • Author

    Bhoorsingh Rathore,

    Dr. Laxmansingh Gadha

  • Publisher

    Rajasthani Granthagar

  • No. of Pages

    221

अभी तक कोई समीक्षा नहींअपने विचार साझा करें। समीक्षा लिखने वाले पहले व्यक्ति बनें।

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page