कर्तव्य मांग रहा था खूनी होली। बिना रक्त बहे न होगी आज साध ये पूरी सूरज भी पल भर रथ रोके देख रहा, जाने क्या इतिहास रचे आज ये रानी ।
उड़ा पवन भी लेने रज इस क्षत्राणी की, नवचंडी उतरी आसमां से, धरा उठी बन धूल लिपटी जाय चरणा से कुंकुम पग उतारे आज वीर भवानी भी ।
होगा बलिदान आज अनूठा, यश की रेखा ने ली अंगड़ाई। योगायोग बना हठीला, समेट माया सब अपनी सोलह वर्ष की ओ काल भवानी । बोली दासी से यों जा थाल ले आ हूं भेजूं निशानी।
जाने कौनसी बात आज है होने वाली, देख रानी को विकट रूप हुई दासी भी हतगेली। एक नैन धक धक धूजें तो दूजो नैन तक तक पूजे ।
"दे जरा तलवार मुझे" कड़क उठी थी वो काल भवानी।
रणभूले को रणमार्ग बताने भले आयी ओ
रानी ।
माँ! तुझे सलाम | Maa Tujhe Salam
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Vimla Bhandari
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