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महात्मा गांधी ने अपने आचरण से अपने आप को एक ऐसा महामानव बना दिया, जिसने सभी धर्मों के लोगों को अपना मानने पर विवश कर दिया। जब भारत गुलाम था और ईसाई धर्म का बोल बाला था, तो कुछ कट्टर ईसाई, जिनके जीवन का मुख्य उद्देश्य ही धर्मांतरण था, जान-बूझकर हिन्दू धर्म को एक ऐसे धर्म के रूप में दुनिया में प्रचारित कर रहे थे कि यह जल्दी ही समाप्त हो जाने वाला धर्म है, क्योंकि हिन्दू धर्म का मतलब ही अंधविश्वास, कुरीतियाँ और पाखंड है। कुछ सज्जन और कम कट्टर ईसाई, जो इस प्रचार में विश्वास करते थे कि हिन्दू धर्म वैसा ही है जैसा हमारे धर्म प्रचारक प्रचार करते हैं, किन्तु साथ ही साथ वे यह भी कहते कि यदि हिन्दू धर्म ऐसा बेकार धर्म है तो उसमें महात्मा गांधी जैसे ऊँचे चरित्र का व्यक्ति कैसे हैं? इसका मतलब निःसंदेह हिन्दू धर्म में अच्छाइयाँ हैं। यानी गांधी ने अपने चरित्र से पूरी दुनिया के सामने हिन्दू धर्म को सुवासित और सुशोभित किया है। हम कितनी ही बार चिल्ला-चिल्लाकर कहें कि गर्व से कहो "हम हिन्दू हैं", लेकिन इससे हम हिन्दू धर्म की सेवा नहीं कर सकते और न गर्व ही कर सकेंगे। हाँ, दंभ और अहंकार करना जरूर सीख जायेंगे। महात्मा गांधी का मानना था- जो व्यक्ति जिस धर्म में है उसी धर्म को मानता हुआ दिन-प्रतिदिन बेहतर इंसान होने का प्रयास करता जाए ।

महात्मा का अध्यात्म । Mahatma Ka Adhyatma

SKU: 9789384168131
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  • Author

    Mohandas Karamchand Gandhi

  • Publisher

    JNBS Academy

  • No. of Pages

    186

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