ख़्यात कवि, कहानीकार, निबंधकार कुमार अम्बुज का ‘इच्छाएँ’ के बाद यह दूसरा कथा-संग्रह ‘मज़ाक़’ उनकी अप्रतिम गद्य शैली को कुछ और गहराई देता है, अधिक व्यंजक बनाता है। जीवन की मूर्त-अमूर्त तकलीफ़ों को दृश्यमान करती ये कहानियाँ समाज में समानांतर रूप से हो रहे सांस्कृतिक, नैतिक ह्रास को भी लक्षित करती हैं। ये गहरे जीवनानुभवों, सूक्ष्म निरीक्षणों, भाषा की विलक्षणता, कहन और शिल्प के नये आविष्कार से मुमकिन हुई हैं।
मज़ाक़ । Mazaak
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Author
Kumar Ambuj
Publisher
Rajpal & Sons
No. of Pages
127
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