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आज देश विदेश की सबसे बड़ी समस्या है 'भ्रष्टाचार'। इसके भयावह और विकराल स्वरूप से जन-जन व्याकुल हो रहा है। अभी जनता के समक्ष एक ही चर्चा का विषय है 'भ्रष्टाचार', क्योंकि यह धर्म, अर्थ, काम, तथा समाज, राष्ट्र, प्रजातन्त्र, राजनीति, प्रशासन, उद्योग, विभिन्न विभाग, निर्वाचन आदि से सम्बद्ध प्रायः प्रत्येक घटक में व्याप्त है। इसके पण्डा-पुजारियों की संख्या कम नहीं है। इसकी त्रिवेणी में डुबकी लगाने की जैसे होड़ मची हुई है। सभी स्वयं को और अपनों को आकण्ठ तृप्त करने में लगे हैं। इन परिस्थितियों में श्री अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव जैसे कतिपय देशप्रेमी यदि इसके विरुद्ध आवाज उठाते हैं, तो इसमें लिप्त लोगों को यह अच्छा नहीं लगता और बौखलाकर पीछे पड़ जाते हैं।

यह सब देखकर साहित्यकार चुप कैसे रह सकता है। अतः अनेक भाषाओं की विविध विधाओं में भ्रष्टाचार पर प्रकीर्णतः प्रचुर लिखा गया है, पर एकत्र समेकित सामग्री दुष्प्राप्य है।

भ्रष्टायनम् | Bhrashtayanam

SKU: 9788180350788
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₹255.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Dr. Shivsagar Tripathi

  • Publisher

    Devnagar Prakashan

  • No. of Pages

    216

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