सारदेंदु बंद्योपाध्याय के कालजयी डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी की लोकप्रियता कई दशकों से बरकरार है। 1930 के दशक में ‘किरदार’ की रचना के साथ वह कलकत्ता के घर-घर में लोकप्रिय हुए और फिर 1990 के दशक में टी.वी. पर जाना-माना चेहरा बने। अपने दोस्त और हमजोली अजीत के साथ ब्योमकेश शायद भारत के सबसे चहेते साहित्यिक डिटेक्टिव में से एक हैं।
इस संग्रह में तीन ऐसी पहेलियाँ हैं, जिन्हें उन्होंने सुलझाया।
अनेक संदिग्धों वाले बोर्डिंग हाउस में हुए एक मर्डर से लेकर उस पहेली तक, जिसमें एक अलौकिक मोड़ भी है, और फिर ग्रामीण बंगाल में कालाबाजारी के गिरोह का भंडाफोड़ करने तक, इन कहानियों के जरिए सच की तलाश में यह लोकप्रिय डिटेक्टिव तमाम इलाकों में जाता है। इस दौरान उसकी प्रतिभा व चतुराई देखने को मिलती है। ‘क्विल्स ऑफ द पॉरक्यूपाइन’ में चतुर डिटेक्टिव कमाल के फॉर्म में है, जब वह बड़ी दक्षता से एक क्रूर अवसरवादी की साजिश का भंडाफोड़ करता है।
ब्योमकेश बक्शी की जासूसी कहानियाँ । Byomkesh Bakshi Ki Jasoosi Kahaniyan
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Author
Saradindu Bandyopadhyay
Publisher
Prabhat Prakashan
No. of Pages
272