इतिहास का शाब्दिक अर्थ ही है- ऐसा ही था, ऐसा ही हुआ जो प्रामाणिकता को दर्शाता है। इसकी विशेषता यह है कि इतिहास का रिश्ता अतीत से है, उसके अंतर्गत वास्तविकता का प्रकाश है, घटनाओं का समावेश है। अतीत की प्रत्येक स्थिति, परिस्थिति घटना, प्रक्रिया एवं प्रवृत्ति की व्याख्या का ताना बाना है। अतीत के इसी तथ्य को, तत्व को, प्रवृत्ति को, विवरण को, विवेचन को एवं विश्लेषण को इतिहास कहते हैं। सम्राट अशोक चक्रवर्ती भारत के इतिहास निर्माता थे । इतिहास राजनीतिक, सांस्कृतिक इतिहास का लेखा-जोखा है। प्रस्तुत पुस्तक इस बात को केन्द्रित करती है कि ऐसा क्यों हुआ इसमें क्या विशेषता है? रचनाकार ने युगीन वातावरण के साथ संदर्भों के साथ एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को और कृतित्व को अतीत के सृजन से विश्लेषण किया है ।
किस प्रकार अतीत वर्तमान बन जाता है, जब परिवर्तन आता है तो वहाँ इतिहास दस्तक देता है। एक आह्वान के साथ, यही इस पुस्तक का मर्म है। सम्राट अशोक ने अपने जीवनकाल में अनेक युद्ध लड़े थे किन्तु जिस युद्ध ने उनके जीवन को अत्याधिक प्रभावित किया, वह था कलिंग का युद्ध । कलिंग युद्ध की विभीषिका को देखकर अशोक ने प्रतीज्ञा की, कि अब वह न तलवार उठाएगा, न युद्ध लड़ेगा। इसी प्रतीज्ञा ने न केवल प्रतीज्ञा करवाई अपितु सम्बन्ध, दृढ़ता से युद्ध के पश्चात् उन्होंने शान्ति का द्वार खोला और अहिंसा का मार्ग अपनाया। बौद्ध धर्म अपनाकर अहिंसा परमोधर्म को अंगीकार किया।
प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान् । Priyadarshi Samrat Ashok Mahan
Author
Dr. Haridas Ramji Shendey 'Sudarshan'
Publisher
Sahityagar
No. of Pages
110