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शिव - जड़ में चेतन का आभास। शिव आदि गुरु हैं, क्योंकि कहते हैं ये सबसे पहले थे। सबसे पहले अर्थात् हमारे अस्तित्व से भी पहले। और ये सच है क्योंकि आयाँ के इस भूमि पर आने से पहले भी शिव थे, द्रविड़ों के देव के रूप में। आर्य यहाँ आये और द्रविड़ों से उनका संघर्ष शुरू हुआ, जिसकी परिणति थी देवासुर संग्राम। यह संग्राम आर्यों और द्रविड़ों के बीच अस्तित्व के लिए लड़ा गया युद्ध था, जिसमें आर्यों का नेतृत्व विष्णु ने किया तो द्रविड़ों की कमान शिव के हाथ थी। युद्ध में आर्यों की विजय हुई और शिव ने पराजय रूपी विष को गरिमा के साथ पिया।

 

विष्णु और शिव ने मिलकर आर्यों और द्रविड़ों के संघर्ष को सदा के लिए समाप्त करने के लिए आर्यों और द्रविड़ों का संविलियन कराया और दोनों के मिलन से एक नये धर्म – हिन्दू धर्म ने जन्म लिया। हिन्दू धर्म में शिव सबसे बड़े देव महादेव बन कर उभरे। शिव की विशालता ने आर्यों में उन्हें अति लोकप्रिय बना दिया और लाल वर्ण शिव को आर्यों ने अपना नील वर्ण देकर नीलकंठ बना दिया। कहते हैं कि ईश्वर की अनेक गाथाएं हैं, किसी एक की कल्पना इस किताब में की गयी है ।

नीलकंठ - पराजय का विष और शिव । Neelkanth - Parajay ka Vish aur Shiv

SKU: 9789388241762
₹295.00 नियमित मूल्य
₹265.50बिक्री मूल्य
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  • Author

    Sanjay Tripathi

  • Publisher

    Manjul Publishing

  • No. of Pages

    323

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