top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

आज से चार साल पीछे जाकर जब मैं स्वयं को देखता हूँ तो दिखता है गाँव का एक लड़का जो इतिहास से ग्रेजुएट होकर उसी भीड़ में शामिल है (हालाँकि, इतिहास विषय को लेकर हमारे यहाँ मान्यता है कि इसे केवल पढ़ने में कमजोर या औसत छात्र ही चुनते हैं)। जिसके पास स्वयं को साबित करने का एकमात्र विकल्प है- सरकारी नौकरी। जहाँ यह कोई नहीं बताता कि तुम्हें कितना इंसान बनना है, तुममें कितनी बची रहनी चाहिए संवेदना, तुम्हें सक्षम होने से पहले हो जाना चाहिए एक ठीक-ठाक मनुष्य, जिसे देखकर मनुष्यता की औसत ही सही, एक परिभाषा गढ़ी जा सके।

जिस समाज से मैं आता हूँ वहाँ पढ़ने का चलन नहीं रहा है। पढ़ने के नाम पर परीक्षाएँ पास कर लेना भर ही पर्याप्त होता है। हाँ, अब थोड़ी उम्मीद जगी है, गाँव के कुछ लड़के पढ़ने का अर्थ समझने लगे हैं। उनकी भी अब बुकशेल्फ़ बनने लगी है।

नदियाँ नहीं रुकतीं । Nadiyan Nahin Rukti

SKU: 9788196329426
₹175.00 नियमित मूल्य
₹157.50बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टॉक में केवल 1 ही शेष हैं
  • Other Options

  • Author

    Aditya Rahbar

  • Publisher

    Pankti Prakashan

  • No. of Pages

    144

अभी तक कोई समीक्षा नहींअपने विचार साझा करें। समीक्षा लिखने वाले पहले व्यक्ति बनें।

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page