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जाँ दारागान एकान्त- पसन्द लेखक है जो पेरिस के शोरोगुल से दूर शान्ति से अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। उसके शान्तमय जीवन में ऐसी उथल-पुथल मच जाती है जब सितम्बर की एक दोपहर को ओतोलीनी नामक एक व्यक्ति का फ़ोन आता है। ओतोलीनी के हाथ आयी है जाँ दारागान की पुरानी नोटबुक, जिसमें एक विशेष व्यक्ति का नाम दर्ज है, जिसके बारे में ओतोलीनी पूछताछ करना चाहता है। लेकिन लाख कोशिश करने पर भी दारागान, ओतोलीनी को उस व्यक्ति के बारे में कुछ बता नहीं पाता लेकिन ओतोलीनी के लिए उस व्यक्ति को ढूँढना बहुत ज़रूरी है। दारागान उस व्यक्ति की तलाश में ओतोलीनी के साथ लग जाता है और वहीं से उसकी ज़िन्दगी में एक अलग मोड़ आता है। इस कहानी की अपनी ही एक रहस्यमय लय और ताल है, पाठक जैसे-जैसे इसे पढ़ता है वह इन पात्रों की ज़िन्दगी में डूबता जाता है ।

कहीं तुम भटक न जाओ | Kahin Tum Bhatak Na Jao

SKU: 9789386534620
₹160.00 नियमित मूल्य
₹144.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Patrick Modiano

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    112

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