आठवीं शताब्दी ई. में भारतभूमि पर एक ऐसे महामानव का पदार्पण हुआ जिसे कालान्तर में आदिशंकराचार्य के नाम से जाना गया। इस महामानव ने अल्पवय में ही अपनी अद्वितीय प्रतिभा का दिग्दर्शन युग को कराया था।
जिस बालक ने आठ वर्ष की अवस्था में चारों वेदो का पारायण कर लिया हो और बारह वर्ष की अवस्था तक समस्त शास्त्रों का ज्ञान कर लिया हो तथा सोलह वर्ष की अवस्था तक समस्त लेखन कार्य कर लिया हो। ब्रह्मसूत्रशंकरभाष्य जैसे महाभाष्य का लेखन कर लिया हो। ऐसे महापुरुष की जीवनी एवं जीवन दर्शन पर आधारित नाटक 'आदिशंकराचार्य यात्रा एक महायोगी की प्रस्तुत है। इस पुस्तक के माध्यम से आदि शंकराचार्य के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चित्रण किया गया है। पुस्तक पाठकों के लिए रुचिकर एवं ज्ञानवर्द्धक रहेगी।
आदि शंकराचार्य | Aadi Shankaracharya
Author
Aanand Prakash Tripathi
Publisher
Pulkit Prakashan
No. of Pages
88