कोई भी यात्रा मात्र व्यक्ति की यात्रा नहीं होती है. अगर वह जिस रस्ते पर चल रहा है वह रास्ता भी यात्रा में शामिल है तो - और रस्ते शामिल हैं तो क्या कुछ नहीं शामिल! " अरे यायावर रहेगा याद ?' अग्यये का एक ऐसा यात्रा संस्मरण है जिसमे रस्ते शामिल हैं. इसलिए येह पुस्तक अपने काल के भीतर और बाहर एक प्रक्रिया एक और एक विमर्श भी है. बगैर उद्घोष की यात्रा प्रकृति और भूगोल से गुज़रती हुई संस्कृति, समाज और सभ्यता से गुज़र रही होती है. अज्ञेय अपनी यात्रा में लाहौर, कश्मीर पंजाब, औरंगाबाद, बंगाल, असम आदि प्रदेशों की प्रकृति और भूमि से गुज़रते हुए अपनी कथात्मक शैली और भाषा की ताजगी से सिर्फ सौन्दर्य को नहीं रचते बल्कि सदियों हम जिनके गुलाम रहे उनके इतिहास के पन्ने भी पलटते हैं
अरे यायावार रहेगा याद | Are Yayavar Rahega Yaad
SKU: 9788126727414
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Agyey
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